खेलकूद
कहा जाता है खेल तन और मन को स्वस्थ रखते हैं और खेल के मैदान में ही व्यक्तित्व का वास्तविक गठन होता है, खेलो के माध्यम से ही छात्राओं में अनुसाशन, मिलकर काम करने की भावना, हार जीत में समता, स्फूर्ति, बल, निर्णयशक्ति, संतुलन, साहस, सतर्कता आदि शारीरिक, नैतिक, सामाजिक एवं आत्मिक गुणों का विकास होता हैं।
कहा जाता है खेल तन और मन को स्वस्थ रखते हैं और खेल के मैदान में ही व्यक्तित्व का वास्तविक गठन होता है, खेलो के माध्यम से ही छात्राओं में अनुसाशन, मिलकर काम करने की भावना, हार जीत में समता, स्फूर्ति, बल, निर्णयशक्ति, संतुलन, साहस, सतर्कता आदि शारीरिक, नैतिक, सामाजिक एवं आत्मिक गुणों का विकास होता हैं।
इन्ही गुणों का विकास प्रतिभास्थली के मैदान में किया जाता है। यहाँ सिर्फ खेलना ही नहीं खेल-खेल में जीना सिखाया जाता है।