मनुजो मानवो भूयात्। भारतः प्रतिभारतः॥
मनुष्य बुद्धि व गुणों के विकास और संस्कारों के संवर्धन से मानव बने और भारत प्रतिभा में निमग्न हो।
शिक्षा आदर्शों का निर्माण करे, “शिक्षा का उद्देश्य जीवन का निर्वाह नहीं निर्माण है।”
मानव का नैतिक पतन न हो और उच्च जीवन शैली को अपनाते हुए अपनी प्रतिभा का वह विकास कर सके।
भारत पुनः भारत बने वह भारत जो ज्ञान, विज्ञान, तकनीकी में विश्व गुरु था और जहाँ सदैव “मनुजो मानवो भूयात्। भारतः प्रतिभारतः॥” का नारा गूंजा करता था।
हम चाहते है बनाना वही भारत ... ... ...