जिस महोत्सव को मनानें का इन्तजार वर्षो से कर रही थी सम्पूर्ण वसुधा ... क्योकि यह कोई साधारण महोत्सव नहीं, यह था संत शिरोमणि, धरती के देवता, गुरुवर आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज का संयम स्वर्ण महोत्सव।
पूज्य गुरुवर ने संयम के साथ निरतिचार 50 वर्ष पूर्ण कर इस धरती पर चारित्र की क्रांति जगाई है। ऐसे चारित्र चक्रवर्ती, अपराजेय साधक परम पूज्य गुरुवर का ‘संयम स्वर्ण महोत्सव’ अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल, अतिशय क्षेत्र-खजुराहो में भारतवर्ष के भक्त्त समुदाय के बीच धूमधाम से मनाया गया। और इस भव्य महोत्सव के अदभुत क्षणों की साक्षात्कार बनी प्रतिभास्थली की सभी छात्राएं।
प्रातः काल गुरुभक्ति के समय गुरूजी की परिक्रमा लगाने का पावन अवसर प्राप्त किया और मंच पर पूजन के अवसर पर स्वर्ग में हो रही गुरूजी की चर्या पर चर्चा और गुरु भक्ति की महिमा का वर्णन एक छोटी सी प्रस्तुति के माध्यम से किया, जिससे सारा माहोल आनंद मय हो गया।
ऐसे संत की चरण धूलि हमें सदैव प्राप्त होती रहे और होता रहे चारों दिशाओं में गुरूजी का जय घोष ... जय जय गुरुदेव!!!