खेल उद्यान

 
जैसा तन वैसा मन यह कहावत जानते तो सभी हैं परन्तु जो इसका पालन करते हैं वे शारीरिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देते हैं। खेलों का महत्व और उपयोगिता आधुनिक जीवन में और भी अधिक बढ़ गयी है। स्कूलों तथा कॉलेजों में भी अब खेलों पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा है।

खेल कई प्रकार के होते हैं। कुछ खेल घर में भी खेले जा सकते हैं तो कुछ ऐसे हैं जिनको खेलने के लिए मैदान की आवश्यकता होती है। कबड्डी, हॉकी, क्रिकेट, बैडमिंटन, खो-खो, बॉस्केटबॉल आदि ऐसे ही खेल हैं। इन्हे खेलने से मनोरंजन भी होता है और साथ ही साथ व्यायाम भी।
 
खेल हमारे शरीर को स्वस्थ्य बनाये रखने के साथ-साथ हमारे भीतर कई अच्छे और आवश्यक गुणों का विकास भी करते हैं। खेलों से प्रतियोगिता की तथा संघर्ष की भावना सहज ही सीखी जा सकती है। सामूहिक जिम्मेदारी, सहयोग और अनुशासन की भावना का कोषागार खेलों में ही छिपा है।

जो देश खेलों में अव्वल आते हैं वे विकास की दौड़ में भी अग्रणी रहते हैं। ओलम्पिक तथा राष्ट्रमंडलीय खेल स्पर्धाओं के द्वारा वसुधैव कुटुंबकम का मन्त्र प्रत्यक्ष होता हुआ देखते हैं। इन्ही सभी बातों का ध्यान रखते हुए प्रतिभास्थली में भी विभिन्न प्रकार के खेलों का आयोजन किया जाता है ... जिससे छात्राओं के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास हो सके।