भारतीय धर्म में उपासना के स्थल को मन्दिर कहते हैं। यह अराधना और पूजा-अर्चना के लिए निश्चित की हुई जगह या देवस्थान है। यानी जिस जगह किसी आराध्य देव के प्रति ध्यान या चिंतन किया जाए या वहां मूर्ति इत्यादि रखकर पूजा-अर्चना की जाए उसे मन्दिर या देवालय कहते हैं।
चंद्रगिरी के इस विशाल प्रांगन में चंद्रप्रभु भगवान् की भव्य छाँव में धरती के देवता संत शिरोमणि आचार्य भगवन 108 श्री विद्यासागर जी महाराज की असीम अनुकम्पा से हमको प्राप्त हुई प्रतिभास्थली के बड़े बाबा की छाँव ...।
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में आध्यात्मिक शांति का होना अत्यंत आवश्यक होता है कहा भी जाता है की हमारे जीवन में एक ऐसा आदर्श दर्पण अवश्य हो जिसमें देखकर हम अपनी आत्मा के दोषों को निकाल सकें, और इसी भावना को लेकर यहाँ एक भव्य जिनालय विद्यमान है, यहाँ प्रभु-भक्ति, वंदना आदि गुणों की प्राप्ति छात्राओं को हो एवं उनका जीवन भी आदर्श जीवन बनें।