संगीत
आचार्य भगवन गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज ने मूकमाटी महाकाव्य में कहा है – “प्रीती अंगातीत होती है, संगीत संगातीत होता है।”
ऐसे ही आध्यात्मिक संगीत के स्वरों का गान होता है उपाश्रम के इस परिसर में, जहाँ शांत स्वरों के गान से मन चेतना में आनंद का आल्हाद गूँज उठता है। संगीत मन और चेतना को शांत कर आध्यात्मिक आनंद से भरता है, ऐसे शांत स्वरों का गान होता है हमारी प्रतिभास्थली भूमि में।
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प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ
चन्द्रगिरि तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ़
जिला-राजनांदगाव (छत्तीसगढ़)491445
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