प्रथम समाधि स्मृति महोत्सव

ऐतिहासिक आयोजन

समाधि सम्राट आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी का प्रथम समाधि स्मृति महोत्सव

सानिध्य -निर्यापक श्रमण १०८  मुनि श्री समतासागर जी महाराज  एवं  मुनि श्री १०८ आगम सागर जी , मुनि श्री १०८  पुनीत सागर जी संघ एवं आर्यिका १०५ गुरु मति माताजी , १०५ दृढ़  मति माताजी , १०५ आदर्श मति माताजी ससंघ

आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागरजी महाराज के परम शिष्य आचार्य गुरुवर श्री समयसागर जी महाराज की आज्ञा को अपने मस्तक पर धारण करने वाले परम पूज्य मुनिश्री आगम सागर जी, परम पूज्य मुनिश्री पुनीत सागर जी महाराज एवं ऐलक श्री धैर्य सागर जी महाराज की अनन्य भक्ति एवं कई दिनों के परिश्रम का यह फल था जो आचार्य गुरुदेव श्री विद्यासागरजी महाराज का प्रथम समाधि महोत्सव हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाने का अवसर हम सभी को प्राप्त हुआ। इस महा महोत्सव में परम पूज्य निर्यापक श्रमण मुनिश्री समतासागरजी महाराज ने अपनी उपस्थिति से इस महा महोत्सव को महान रूप प्रदान किया एवं समस्त आर्यिका संघों की आगवानी मानो कुंडलपुर महोत्सव की याद दिला रही थी। मुनिश्री के हम अत्यंत आभारी जिनके माध्यम से इस महान कार्य को करने की प्रेरणा समस्त देश को प्राप्त हुई।

1 फ़रवरी 2025

किसी भी मंगल कार्य का शुभारंभ मंगल आयतन के द्वारा किया जाता है। इसी प्रकार इसी मंगल महा महोत्सव का आयोजन प्रतिभास्थली की मंगल छात्राओं के द्वारा मंगलाचरण – भरतनाट्यम नृत्य से किया गया। छात्राओं ने अपनी अद्भुत मनमोहक प्रस्तुति से सभी के हृदय में एक अनुपम स्थान बनाया। अपनी संस्कृति एवं जैन धर्म का सूचक जैन ध्वज के सम्मान में एक ध्वज वंदन गीत के साथ अनुपम नृत्य प्रस्तुत किया।

जैन आर्मी की परेड तथा सिद्ध चक्र महामंडल विधान का आगाज हुआ उसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय  एवं दो उपमुख्यमंत्री उपस्थित हुए और ध्वजारोहण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया| “जो सोता है,तो उसका भाग्य भी सो जाता है,जो जागता है,उसका भाग्य भी जाग जाता है”, उपरोक्त उदगार निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज ने चंद्रगिरी डोंगरगढ़ क्षेत्र से संत शिरोमणि आचार्य गुरुदेव विद्यासागरजी महामुनिराज के समाधि स्थल से प्रातःकालीन धर्म सभा को सम्वोधित करते हुये व्यक्त किये।

मुनि श्री ने कहा कि यह ध्वजारोहण कोई साधारण ध्वजारोहण नहीं होगा बल्कि देश, दुनिया तथा विश्व में मंगल हो, विश्व में शांति पूर्ण वातावरण बना रहे, इस भावना का द्योतक होगा| इस मंगल भावना से दिनांक 1 फरवरी से 6 फरवरी तक संत शिरोमणि आचार्य गुरुदेव विद्यासागरजी महामुनिराज की प्रथम समाधि दिवस पर यह आयोजन चंद्रगिरी तीर्थ  समाधि स्थल पर किया जा रहा है।मुनि श्री ने कहा कि “राष्ट्रीय ध्वज” तिरंगा राष्ट्र का प्रतीक है उसी प्रकार “केसरिया ध्वज” त्याग और तपस्या तथा धर्म की प्रभावना का प्रतीक है, वही  “पचरंगा ध्वज” पंचपरमेष्ठी का प्रतीक माना जाता है  जिसे जिनशासन की विशेष आर्मी द्वारा सलामी परेड करते हुये मुख्य अतिथि द्वारा फहराया गया ,उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य और मनोरथ की सिद्धि  कैवल बैठने और सोचने मात्र से नहीं होती उस मनोरथ की पूर्ति के लिये पुरुषार्थ करना आवश्यक होता है|”

मुनि श्री ने संपूर्ण देश को आव्हान करते हुये कहा कि “दुनिया में आप कोई काम कर सको या न कर सको देश विदेश में घूम सको या न घूम सको मंदिर में जाकर अर्घ चढ़ा सको या न चढ़ा सको लेकिन जीवन में दो काम अवश्य करना- एक शाश्वत सिद्धक्षेत्र श्री सम्मेदशिखर जी में जाकर माथा टेकना और अर्घ चढाना तथा दूसरा इस युग के सर्वश्रेष्ठ गुरुवर आचार्य विद्यासागर महाराज जी की समाधिस्थल चंद्रगिरी में आकर अपना माथा झुकाना और पूजा का अर्घ चढ़ाना |”

मुनि श्री ने कहा कि यह समाधिस्थल कोई साधारण समाधिस्थल नहीं बल्कि इस युग के महान आचार्य श्री विद्यासागरजी महा मुनिराज की समाधि स्थल है जिन्होंने प्रतिकूलताओं और शारिरिक व्याधियों में भी श्रेष्ठ साधना और आत्मा को ज्ञान का मंदिर बनाकर उत्कृष्ट समाधी कैसे की जा सकती है?, यह सिखा दिया | जिस जगह को यह श्रेष्ठता मिली, वह स्थान का कण-कण पावन और पवित्र है, इस समाधि स्थल पर मुनिराज भी आकर वंदना करते है, परिक्रमा कर कायोत्सर्ग करते है तथा भावना भाते है- “हे गुरुवर! आपने जिस तरह से समाधि सल्लेखना को प्राप्त किया है, वैसे मैं भी प्राप्त करूं | यह भावना भाता हूं|”

2 फ़रवरी 2025

परम पूज्य आर्यिका अंतर मति माताजी के द्वारा लिखे एक अनुपम नाटक की प्रस्तुति 2 फरवरी को की गई। इस नाटक में आचार्य गुरुदेव की समाधि के पश्चात बिरह की पीड़ा से पीड़ित जनमानस की भावनाओं को समेटते हुए, नव आचार्य श्री समय सागर जी महाराज की महिमा का उद्घाटन किया गया एवं भविष्य में आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागरजी महाराज के अनुयायियों का क्या कर्तव्य है इस देश, इस धर्म को बांधने के लिए, इसका वर्णन किया गया है। इस अनुपम नाट्य प्रस्तुति का नाम था – “शरद पूनम के दो चाँद”।

3 फ़रवरी 2025

108 आचार्य विद्यासागरजी महाराज के आदर्शों को जीवंत करने वाला शिक्षा का केंद्र, जिसे हम प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ के नाम से जानते हैं। प्रतिभास्थली की छात्राओं के द्वारा 3 फरवरी 2025 को विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए। एवं विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम में उनके द्वारा प्राप्त की गयी बहुआयामी शिक्षा का अत्यंत ही सुंदर प्रदर्शन हुआ। जिसमें छात्राओं ने नृत्य, नाटक एवं योग जैसी बहुत ही सुंदर प्रस्तुतियां इस देश के सामने प्रस्तुत की और हम सभी को बताया कि आचार्यश्री जी का यह सुंदर प्रकल्प किस प्रकार देश को संस्कारों से, संस्कृति से जोड़ रहा है।

4 फ़रवरी 2025

गुरुवर श्री विद्यासागरजी महाराज का प्रदान किया गया बहुत ही प्रसिद्ध प्रकल्प- “हथकरघा”। दिनाँक 4 फरवरी 2025 को गुरुदेव का यह प्रकल्प समस्त भारत के सामने प्रस्तुत किया गया, जिसमें श्रमदान के द्वारा संचालित हथकरघा की समस्त जानकारियां एवं जेल में कैदियों के द्वारा किये गए समस्त कार्यों को उल्लेख किया गया। साथ ही प्रतिभामंडल के द्वारा संचालित चल चरखा हथकरघा केंद्र की महिलाओं द्वारा किये गए समस्त कार्यों का बहुत ही सुंदर माध्यम से प्रस्तुत किया गया एवं जेल में कार्य करने वाली विदेशी एवं भारतीय महिलाओं के भावों को एक छोटी सी नाटिका के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। जिसे देख कर समस्त जनता की आँखों में आंसू की धारा बह निकली। भावों से भावों तक पहुंचने का यह कार्य अनुपम एवं सुंदर था।

आचार्य गुरुदेव के द्वारा प्रदान किया गया यह सन्मार्ग आने वाली पीढ़ी को सत्य, अहिंसा, स्वाभिमान एवं परिश्रम के जीवन को जीने के लिए प्रेरित करेगा। इसी क्रम में रात्रि में प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ की छात्राओं के द्वारा आचार्य गुरुदेव श्री विद्यासागरजी महाराज के समस्त जीवन पर बहुत ही सुंदर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें छात्राओं ने स्वलिखित एवं संकलित की हुई कविताओं का बहुत ही सुंदर पाठ समस्त जन समुदाय के सामने प्रस्तुत किया। जिसे अनेकों लोगों ने हृदय से सराहा और इन प्रतिभाओ का  जन- जन ने सम्मान किया।

5 फ़रवरी 2025

आचार्य गुरुदेव श्री विद्यासागर जी महाराज के समाधि महोत्सव में कई शहरों से भक्त अपने भावों को लेकर के पधारे। सभी ने नृत्य संगीत के साथ गुरुदेव के चरणों में अपनी भक्ति समर्पित की और विभिन्न भक्ति गीतों के माध्यम से अर्घ का अर्पण गुरुदेव के चरणों में किया।

6 फ़रवरी 2025

समाधि स्थल पर माननीय गृहमंत्री अमितशाह जी आये, उनका उद्बोधन पूरे राष्ट्र ने सुना, उनके उद्बोधन में वो सब था जो हम सब सुनकर गौरवान्वित हुए। आचार्य भगवान के लिए उनकी निष्ठा उनके एक एक शब्द में झलक रही थी। इतना बड़ा आयोजन था, हजारों लोगों की उपस्थिति के बीच आयोजन के बाद वो अपने विमान से लौटते समय माननीय नवीन जैन राज्य सभा सांसद जी उनके साथ गए, और माननीय अमित शाह जी ने आयोजन की तारीफ करते हुए उनसे कहा- “इस आयोजन का अनुशासन, मैं सदैव याद रखूँगा, पूर्णतः अनुशासन पूर्ण कार्यक्रम था यह जबकि देखा जाता है ऐंसे आयोजन में भीड़ ,अनुशासन बार बार तोड़कर अंदर आने का प्रयास करती है लेकिन यहाँ सब व्यवस्थित था।”,और भीड़ का यह अनुशासन आचार्य श्री जी के अनुशासन पूर्ण जीवन की ही एक स्मृति प्रतीत हुई।

अमित शाह जी ने कहा – “ मैं मन से मानता हू कि आचार्य श्री जी संत नहीं थे, जैनाचार्य नहीं थे, वे युग पुरुष थे, जिन्होंने नए विचार का नए युग का प्रवर्तन किया।”

G-20 सम्मेलन के निमंत्रण पत्र पर ‘Prime Minister of Bharat’ लिख कर, मोदी जी ने विद्यासागर जी के विचारों को जमीन पर उतारने का काम किया।

आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के शरीर का कण-कण और जीवन का क्षण-क्षण धर्म, संस्कृति और राष्ट्र को समर्पित रहा। उनके प्रथम समाधि स्मृति महोत्सव पर डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर नमन किया।

आज उनकी स्मृति में ₹100 का स्मारक सिक्का, डाक विभाग द्वारा तैयार विशेष लिफाफा, उनके 108 चरण चिन्ह व चित्र का अनावरण और प्रस्तावित समाधि स्मारक ‘विद्यायतन’ का शिलान्यास किया। यह स्मारक भावी पीढ़ी को आचार्य श्री विद्यासागर जी के आदर्शों व सिद्धांतों पर चलने के लिए प्रेरित करेगा।

माननीय गृह मंत्री जी के द्वारा एक और अद्भुत कार्य किया गया जिसमें उनके द्वारा  प्रतिभास्थली विद्योदय ज्ञानपीठ रोजगारोन्मुखी निशुल्क कन्या विद्यालय, कारोपानी, डिंडोरी (मध्यप्रदेश) का लोकार्पण किया गया।

इस संपूर्ण कार्यक्रम के पश्चात माननीय गृहमंत्री महोदय प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में आए जहाँ उन्होंने प्रतिभास्थली की दीदियों एवं प्रतिभास्थली की छात्राओं का अपने उद्बोधन के माध्यम से मार्ग प्रशस्त किया। गृह मंत्री जी ने छात्राओं की हथकरघा एवं हस्तशिल्प की शिक्षा की सराहना की। समाधि महोत्सव के अवसर पर प्रतिभास्थली के आंगन में माननीय गृह मंत्री जी के द्वारा चंदन आदि वृक्षों का वृक्षारोपण भी किया गया।